क्या से क्या हो गया


ये क्या से क्या हो गया, हस्ता खेलता मै आज परेशान हो गया |
कल तक थी जो माँ मेरी आज सियासत से पराई हो गयी,
उस पीछ दौडे जो हम, भरी महफ़िल में हमारी रुसवाई हो गयी |
ये क्या से क्या हो गया, कल तक था औलाद किसी की, आज मै अनाथ हो गया |
कमी थी शायद हम में कही जो इतेहास से दिल लगा बैठे,
बनने को भगत, चंद्रशेखर और गाँधी सपने हम सजा बैठे |
ये क्या से क्या हो गया, बेचैन एक परिंदा आज घोंघा परेशां हो गया |
गलती थी कुछ उन कथाओं की भी उन कविताओं के सार की भी,
गलती थी कुछ उन हवाओं की भी नोटों पे छपे उस अंदाज की भी|
ये क्या से क्या हो गया नादां एक आशिक आज बेईमान हो गया |
इल्जाम लगे तो उस मखमल पे भी बराबर, लहरा कर कुछ बताता जो था,
रौशन तीन रंगों से, प्यार हमारा उकसाता जो था |
ये क्या से क्या हो गया मजनूं भी आज थक बेहाल हो गया |
पाप ये उनका भी है माँ को माँ जिसने बताया,
छपा हर किताब में हर रोज हमको पढ़ाया |
ये क्या से क्या हो गया आज देश भक्त भी बदनाम हो गया |
गलत सिर्फ हम नहीं गलत हो तुम भी सारे सभी,
सियासत की इस दौड़ में जो बदल देते हो पैमाने यू ही कभी |
ये क्या से क्या हो गया, हस्ता खेलता मै आज परेशान हो गया |


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