सौदा
शर्म है इस बात की के आज इस बात की बात करेंगे खोलेंगे कुछ राज़ उनके कुछ दर्द अपना भी बयाँ करेंगे प्यार मोहब्बत की नहीं ये बातें है उनसे बड़ी खुली है हम किताब बने फिर भी लोग हमे समझे नहीं बुरे है हम या गलत हमारा अंदाज है कोई इतना हमे बतलादे पहन लेंगे नकाब भी जिससे उम्र भर हम दूर है भागे सच्चा हू , शायद है ये बात तुम को रास नहीं आती पन्नो की है चमक ये , न जाने तुमको ये क्यों खल जाती जुबां मेरी है चाशनी सी मीठी नहीं माना अलफ़ाज़ कुछ कडवे इनमे है तेरी खातिर पाक भी दू इनको गुड मे तू कह तो सही कमी ये मुझमे है अल्लहड़ इस जवानी में जवां अब भी मेरा बचपन मुझमे है तन्हा हू इतना की , नज़दीक ये दोस्त मेरा सबसे है तन्हा इस दुनिया ने जब जब मुझको छोड़ा है हर बार मेरे दोस्त ने मेरे , साथ बैठ मुझे बटोरा है यार ये मेरा इतना साला खुदगर्ज़ क्यों है तेरी खातिर हमसे बिछुड़ना भी इसे मजूर क्यों है सौदे में ये