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जुदाई

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आँखों में तेरी जान मेरी बस्ती है खिल जाता हू मै जब तू खुल के हस्ती है हाथो में तेरे कोई जादू तो है मेरी हर हरकत पे इनका काबू जो है दिल से तेरे मेरा दिल कुछ ऐसा जुड़ा है तेरे हर दर्द पे ये भी बराबर कुढ़ा है तुझ बिन मीठा हर निवाला हमको काढ़ा लगता है मुस्कुराता मेरा अक्स भी बेचारा लगता है जान ही नहीं मेरी रूह भी तू ही है   जीना तुझसे दूर जीना नहीं है आज मिला ये मुकाम किस दौराहे पे लाया है एक ओर तू तो दूसरी ओर इस संसार की माया है यू तो तुझ बिन जीना हमको आता नहीं , पर माया बिन संसार को मै भाता नहीं ये किस कश्मकश मे आज खुद को पाया है ज़िन्दगी के चुनावों में जीतती क्यों माया   है घोर इस   लड़ाई   मे   लाचार   हम है जुदा हमे जान से करने को बेकरार सब है चोट नहीं नासूर हमको मिलना है पर इस दर्द को भी हस्ते हुए सहना है दिल पे पथ्थर रख आगे हमको बढ़ना है आंसुओ की घुट्टी को भी